मिल के रहता हूँ सदा चारों के साथ बेवफ़ाई क्या करूँ यारों के साथ कौन मोहसिन है पता चल जाएगा मिल के बैठोगे जो तुम यारों के साथ क़त्ल साहिल पर हुआ शायद कोई बह रहा है ख़ून भी धारों के साथ आबरू की पासबानी शर्त है है गुलों की ज़िंदगी ख़ारों के साथ दाग़-ए-दिल दाग़-ए-जिगर रौशन हुए हैं फ़रोज़ाँ चाँद और तारों के साथ उन से उम्मीद-ए-वफ़ा 'फ़ानी' न कर कैसी हमदर्दी जफ़ा-कारों के साथ