मिली ख़ाक में मोहब्बत जला दिल का आशियाना By फ़िल्मी शेर, Ghazal << नसीब में जिस के जो लिखा थ... कोई साग़र दिल को बहलाता न... >> मिली ख़ाक में मोहब्बत जला दिल का आशियाना जो थी आज तक हक़ीक़त वही बन गई फ़साना ये बहार कैसी आई जो ख़िज़ाँ भी साथ लाई मैं कहाँ रहूँ चमन में मिरा लुट गया ठिकाना मुझे रास्ता दिखा कर मिरे कारवाँ को लूटा इधर आ गले लगा लूँ तुझे गर्दिश-ए-ज़माना Share on: