मिरा महबूब सब का मन हरन है By Ghazal << सियाह सफ़्हा-ए-हस्ती पे म... इसे सौदा उसे सौदा ये दीवा... >> मिरा महबूब सब का मन हरन है नज़र कर देख वो आहू नैन है नहीं अब जग में वैसा और साजन मुझे सूरत-शनासी बीच फ़न है सबी दीवाने हैं उस मह-लक़ा के मगर वो दिल-रुबा जादू नयन है करे रश्क-ए-गुलिस्ताँ दिल को 'फ़ाएज़' मिरा साजन बहार-ए-अंजुमन है Share on: