मिरे बुलाने पे कहते हैं वो अजी क्या है कोई बताओ कि ये लफ़्ज़ वाक़ई क्या है न कोई वजह न कोई सबब न कोई बात ये इज्तिनाब है कैसा ये बे-रुख़ी क्या है पहुँच है चाँद सितारों से आगे उस की मगर ख़ुद आदमी ही न समझा कि आदमी क्या है हमेशा चाँद की जानिब न देखते रहिए हुज़ूर आप की उस की बराबरी क्या है मैं एक-एक के हालात को समझता हूँ वो सब पे उँगली उठाता है क्यों वही क्या है सुराही छीन ले साक़ी के हाथ से 'मंज़र' ये अर्ज़-दाश्त ये मिन्नत ये आजिज़ी क्या है