मिरे दिल के दरीचे में मिरी पलकों की चौखट पर अभी तक है तिरी ख़ुशबू मिरे होंटों की चौखट पर तिरी आशा का हर शब में बुझा सा जो दिखाई दे वो तारा झिलमिलाए फिर मिरी सुब्हों की चौखट पर नया फिर दर्द का मौसम ये ग़म शादाब फिर होंगे तिरे ख़्वाबों की दस्तक फिर मिरे नैनों की चौखट पर तिरी यादों के सब जुगनू सहर तक चुनते रहते हैं तिरे पैमाँ जो बिखरे हैं मिरी रातों की चौखट पर जो तितली के परों जैसी मोहब्बत में कभी गुज़रे अभी तक मैं तो बैठी हूँ उन्ही लम्हों की चौखट पर जहाँ भी तू रहे जानाँ करम तुझ पर रहे रब का दुआ हर पल महकती है मिरे होंटों की चौखट पर अजब सी गर्द फैली है 'सुमन' रुख़्सार पर मेरे कोई टूटा सितारा है मिरी पलकों की चौखट पर