मिरे दिल से दिल को मिला कर तो देखो मोहब्बत की दुनिया बसा कर तो देखो दर-ए-आस्ताँ पर खड़ा हूँ मैं कब से ज़रा रुख़ से पर्दा हटा कर तो देखो अभी तक तो मुझ से रहे हो ख़फ़ा तुम मगर अब ज़रा मुस्कुरा कर तो देखो बुझाओगे जितने वो भड़केंगे उतने मोहब्बत के शो'ले बुझा कर तो देखो ये बाद-ए-मुख़ालिफ़ न गुल कर सकेगी चराग़-ए-मोहब्बत जला कर तो देखो कटेगा सफ़र ये सलामत-रवी से मुझे राहबर तुम बना कर तो देखो करामत तो अपनी दिखाओ ज़रा तुम मुझे अपना जैसा बना कर तो देखो सुनेंगे यक़ीनन वो अफ़्साना-ए-ग़म 'अज़ीज़' उन को दिल से सुना कर तो देखो कभी दिल से अपना समझ कर ज़रा तुम 'अज़ीज़' अपना मुझ को बना कर तो देखो