मिरे ना-रसा तसव्वुर ने सुराग़ पा लिया है मैं पता लगा चुका हूँ तू कहाँ कहाँ छुपा है मुझे कौन सर-बुलंदी की तरफ़ बुला रहा है मिरा नर्गिसी तख़य्युल तो शिकस्त खा चुका है तुझे क़ातिलों के नर्ग़े से छुड़ाएगा न कोई ये है मक़्तल ऐ मुसाफ़िर तू किसे पुकारता है सर-ए-शाम जो ग़रीबों के दिए बुझा रही हैं उन्हीं साज़िशों का मरकज़ ये तिरी महल-सरा है कोई मौसमी परिंदों से कहे इधर न आएँ अभी मेरे गुलिस्ताँ की बड़ी मुज़्महिल फ़ज़ा है सुन ऐ मेरी प्यारी दुनिया मिरी बे-क़रार दुनिया तिरा दर्द-मंद शाइर तिरे गीत गा रहा है वो ब-ज़ो'म-ए-ख़ुद गुलिस्ताँ का है सरबराह 'दौराँ' जो वो चाहे सो करेगा उसे कौन रोकता है