मिरे रुख़्सार पर आँसू का क़तरा रुक गया होगा किसी का इक हसीं चेहरा बहुत धुँदला गया होगा न जाने किस तरह से कर लिया अपना असीर उस ने हमारे साथ चल कर दूर तक वो आ गया होगा समुंदर की हसीं लहरें किनारे पर रुकें जैसे वो ऐसे ही मेरी दहलीज़ पर आ कर रुका होगा मिरे अशआ'र के लफ़्ज़ों को कोई छू न पाएगा कि वो इक लफ़्ज़ मेरे लब पे आ कर रुक गया होगा तड़प जाते हैं इस मिट्टी की ख़ुशबू से कभी हम तो है इस धरती का कोई क़र्ज़ जो याद आ गया होगा ये ऊँचे ऊँचे पर्बत दूर तक फैले हुए साए ये मंज़र अपनी यादों में ज़मानों तक रहा होगा किसी मंज़िल पे तो शायद बहारें आ गई होंगी कोई तो रास्ता होगा जो फूलों से सजा होगा किसी माँ के लिए कितनी कठिन वो इक घड़ी होगी किसी बच्चे का ख़ून जिस वक़्त मिट्टी पर बहा होगा किसी की याद की परछाइयाँ तो साथ रहती हैं ये माना वो समय की धुँद में गुम हो गया होगा सफ़र कितना हसीं हो 'नाज़' ख़्वाबों का ख़यालों का मगर ये सिलसिला फिर टूट कर बिखरा हुआ होगा