ये हक़ीक़त है मिरी ज़ात का नुक़सान किया मैं ने जिस शख़्स पे ता-उम्र बड़ा मान किया शहर की सम्त नया रस्ता बनाने के लिए पेड़ काटे गए और गाँव को वीरान किया यार दुश्मन से मिले साँस को मफ़्लूज किया हौसला हारा गया जीत का नुक़सान किया आख़िरी बार मिला पहली मुलाक़ात में वो एक ही शख़्स ने दो बार था हैरान किया नींद आए भी अहामिर तो नहीं सो सकता आँख पर ऐसे तिरे ख़्वाब ने एहसान किया