मिरी दरिया-दिली का अक्स-ए-कामिल देखने वाले समुंदर देख लें पहले मिरा दिल देखने वाले कभी क़ैद-ओ-मुसीबत से रिहाई पा नहीं सकते क़फ़स में बैठ कर तौक़-ओ-सलासिल देखने वाले न जाने आख़िरी हिचकी में कैसा दर्द पिन्हाँ था परेशाँ हो गए हैं रक़्स-ए-बिस्मिल देखने वाले नहीं आसूदगी तो फिर वफ़ा कैसी जफ़ा कैसी मिरा चेहरा नहीं पढ़ते मिरा दिल देखने वाले मिरे आने से महफ़िल में हुई है 'नूर' की बारिश बुलाओ अब कहाँ है रंग-ए-महफ़िल देखने वाले