मिरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का अलम नहीं जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ाँ बहार से कम नहीं मिरा कुफ़्र हासिल-ए-ज़ोहद है मिरा ज़ोहद हासिल-ए-कुफ़्र है मिरी बंदगी वो है बंदगी जो रहीन-ए-दैर-ओ-हरम नहीं मुझे रास आएँ ख़ुदा करे यही इश्तिबाह की साअतें उन्हें ऐतबार-ए-वफ़ा तो है मुझे ऐतबार-ए-सितम नहीं वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं न वो शान-ए-जब्र-ए-शबाब है न वो रंग-ए-क़हर-ए-इताब है दिल-ए-बे-क़रार पे इन दिनों है सितम यही कि सितम नहीं न फ़ना मिरी न बक़ा मिरी मुझे ऐ 'शकील' न ढूँढिए मैं किसी का हुस्न-ए-ख़याल हूँ मिरा कुछ वजूद ओ अदम नहीं