शम्अ' रौशन जिस्म-ए-फ़ानूस-ए-ख़याली में है आज रूह जूँ मिस्ल-ए-मगस मक्ड़ों की जाली में आज हम नहीं हरगिज़ हुबाब-ए-बहर-ए-इम्काँ दहर में साने-ए-कौनैन शक्ल-ए-बे-मिसाली में है आज का'बा-ए-दिल अर्श है हर दम जहाँ रहता हूँ मैं मेरी पहचानत ये जिस्म-ए-ला-यज़ाली में है आज नाम सुन कर जो कोई आया है वो पाया हमें इस्म-ए-आज़म की सिफ़त इस इस्म-ए-आली में है आज जन्नत-उल-फ़िरदौस में जा कर भला हम क्या करें कोई भी उस ख़ाना-ए-वीरान-ओ-ख़ाली में है आज हूर-ओ-ग़िलमान-ए-बहिश्ती याँ मिरे हम-राह हैं मुल्क-ए-दिल-आबाद अपने हस्ब-ए-हाली में है आज नेक-ओ-बद यकसाँ है वाजिब मैं यहाँ इम्कान में चाहिए राहत तो 'मिस्कीं' ख़ुश-ख़िसाली में है आज