मोहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझाई नहीं जाती By फ़िल्मी शेर, Ghazal << शम्अ' में ताक़त कहाँ ... क्या क्या न सहे हम ने सित... >> मोहब्बत ऐसी धड़कन है जो समझाई नहीं जाती ज़बाँ पर दिल की बेचैनी कभी लाई नहीं जाती चले आओ चले आओ तक़ाज़ा है निगाहों का किसी की आरज़ू ऐसे तो ठुकराई नहीं जाती मिरे दिल ने बिछाए हैं ये सज्दे आज राहों में जो हालत आशिक़ी की है वो बतलाई नहीं जाती Share on: