शम्अ' में ताक़त कहाँ जो एक परवाने में है लुत्फ़ जलने में नहीं जल जल के मर जाने में है चाँदनी रातों में अक्सर सोचता रहता हूँ मैं किस की ये तस्वीर है जो दिल के वीराने में है मय की मस्ती तो उतर जाती है थोड़ी देर में ज़िंदगी भर का नशा आँखों के पैमाने में है तू कहे तो आसमाँ की धज्जियाँ कर दूँ सनम आज इक ऐसी ही वहशत तेरे दीवाने में है