मोहब्बत की वो आहट पा न जाए अदाओं में तकल्लुफ़ आ न जाए तिरी आँखों में आँखें डाल दी हैं करें क्या जब तुझे देखा न जाए कहीं ख़ुद भी बदलता है ज़माना ज़बरदस्ती अगर बदला न जाए मोहब्बत राह चलते टोकती है किसी दिन ज़द में तू भी आ न जाए वहाँ तक दीन के साथी हज़ारों जहाँ तक हाथ से दुनिया न जाए तिरे जोश-ए-करम से डर रहा हूँ दिल-ए-दर्द-आश्ना इतरा न जाए कहाँ तुम दर्द-ए-दिल ले कर चले 'नजम' मिज़ाज-ए-दर्द-ए-दिल पूछा न जाए