मोहब्बत में कभी तस्कीन-ए-दिल पाई नहीं जाती तबीअ'त ख़ुद बहल जाती है बहलाई नहीं जाती किसी से बेवफ़ाई पर भी उम्मीद-ए-वफ़ा रखना ये वो ठोकर है जो हर एक से खाई नहीं जाती मोहब्बत में ग़लत-फ़हमी का होना लाज़मी शय है ग़लत-फ़हमी वो गुत्थी है जो सुलझाई नहीं जाती तिरी हमदर्दियों का शुक्रिया ऐ पूछने वाले मगर कुछ बात ऐसी है जो दोहराई नहीं जाती मोहब्बत दो दिलों के दरमियाँ पैदा जो करती है वो गुत्थी ख़ुद सुलझ जाती है सुलझाई नहीं जाती अभी था सामने कोई अभी नज़रों से ओझल है अभी दुनिया जहाँ पर थी वहाँ पाई नहीं जाती जहाँ मैं हूँ वहाँ हर शय में उन का हुस्न है लेकिन जहाँ वो हैं वहाँ तक मेरी रुस्वाई नहीं जाती मोहब्बत में बुलंद-ओ-पस्त का एहसास क्या मा'नी मोहब्बत इम्तियाज़ी शक्ल में लाई नहीं जाती 'निहाल' अब तो कोई हर-वक़्त रहता है निगाहों में नहीं जाती किसी की जल्वा-आराई नहीं जाती