मोहब्बत ज़िंदा रहती है मोहब्बत मर नहीं सकती अजी इंसान क्या ये तो ख़ुदा से डर नहीं सकती ये कह दो मौत से जा कर के इक दीवाना कहता है मिरी रूह-ए-मोहब्बत मुझ से पहले मर नहीं सकती चली आ ओ मिरी जान-ए-तमन्ना दिल की महफ़िल में तू मुझ से दूर हो उल्फ़त गवारा कर नहीं सकती