निकलने को है दम मेरा मगर है आरज़ू बाक़ी मिलेंगे ख़ाक में लेकिन रहेगी जुस्तुजू बाक़ी मैं अपना राज़ कहने को बुलाया था तुझे हमदम मगर अफ़्सोस मैं ही रह सका और है न तू बाक़ी ये दुनिया मिटने वाली है तो फिर इस पर भरोसा क्या फ़ना हो जाएँगे सारे रहेगा तू ही तू बाक़ी किरामन-कातिबीं जा कर ये इज़राईल से कहना ठहर जाओ अभी कुछ यार से है गुफ़्तुगू बाक़ी वुज़ू ज़ाहिद का आब-ए-जू से और मेरा है आँसू से वुज़ू बह जाएगा उस का रहे मेरा वुज़ू बाक़ी तहारत जिस्म की गो हो गई है ग़ुस्ल-ए-ज़ाहिर से सफ़ाई के लिए दिल की अभी है शुस्त-ओ-शू बाक़ी जला कर आतिश-ए-फ़ुर्क़त ने दिल की ख़ाक उड़ाई है नहीं सीने में कुछ बाक़ी मगर है एक हू बाक़ी हिलाली कर दिया तू ने 'क़मर' को एक चुल्लू में रहे महशर तलक साक़ी तिरा जाम-ओ-सुबू बाक़ी