मोहब्बतों का मआल छोड़ो फ़सुर्दगी का ज़वाल रख दो सितारे ले लो तुम अपनी ख़ातिर और उस की ख़ातिर हिलाल रख दो ग्लेशियर भी पिघल चुके हैं तुम्हारी फ़ुर्क़त के रफ़्ता रफ़्ता उदासियों की जबीं पे आओ मोहब्बतों का विसाल रख दो नक़ाहतों से उलझ पड़े हैं मसर्रतों के हसीन लम्हे सो मेरे हमदम क़रीब आ के मलाल ले लो जमाल रख दो मैं दस्त-बस्ता मोहब्बतों के सफ़र पे तन्हा निकल पड़ी हूँ बना कि ख़ुशियों को हम-सफ़र तुम मिरे लिए अब कुदाल रख दो 'हिरा' मराहिम से तंग आ कर ये उस से कहती हैं दिल की धड़कन निखारते हो जो वहशतों से तो मुश्फ़िक़ाना ख़याल रख दो