मुद्दतों से उदास बैठी हूँ ले के तस्वीर-ए-यास बैठी हूँ तिश्नगी का गिला करूँ किस से जब मैं दरिया के पास बैठी जिस पे तहज़ीब के सितारे हैं मैं वो पहने लिबास बैठी हूँ बिंत-ए-हव्वा पे हर तरफ़ ख़तरा महव-ए-ख़ौफ़-ओ-हिरास बैठी हूँ सूखे होंटों को देखते क्या हो ले के सदियों की प्यास बैठी हूँ जान जाए या ये रहे 'ज़रयाब' हक़ है कि हक़-शनास बैठी हूँ