मुद्दतों तक उदास बैठा हूँ तब कहीं तेरे पास बैठा हूँ एक लम्हे की ज़िंदगी के लिए इक सदी से उदास बैठा हूँ बारगाह-ए-ख़ुदा में अक्सर मैं रूह तक बे-लिबास बैठा हूँ मौत तुझ से डरा नहीं हूँ मैं ज़िंदगी से उदास बैठा हूँ यार की ही मुझे तमन्ना है मैं किए इल्तिमास बैठा हूँ तू उधर बद-हवास बैठा है मैं इधर ग़म-शनास बैठा हूँ