मुज़्तरिब हूँ अब ये जी की बात है अफ़्व कीजे बे-ख़ुदी की बात है सैकड़ों उश्शाक़ के तोड़े हैं दिल क्या तुम्हारी नाज़ुकी की बात है क्या अजब पूछे न कोई हश्र में एक ये भी बे-कसी की बात है जिस फ़ुग़ाँ से माँगते थे सब पनाह अब वो इक बे-ताक़ती की बात है मुद्दतें गुज़रीं विसाल-ए-यार को मेरी नज़रों में अभी की बात है कहते हैं अंजाम उस का मौत है जिस क़दर ग़म हो ख़ुशी की बात है इज़्तिराब-ए-शौक़ में कहनी पड़ी जो तिरी आज़ुर्दगी की बात है ऐ दिल उम्मीद इस से है तासीर की ये फ़ुग़ाँ है या वली की बात है फिरते हैं अहद-ए-वफ़ा से हम कोई ये भी तुम से आदमी की बात है सच कहा है दिल को है इक दिल से राह उन के लब पर मेरे जी की बात है ग़ैर से कुछ कह के मुझ से कहते हैं तुम को क्या मतलब किसी की बात है वा'दा क्यूँ करते हो कह दोगे अभी याद किस को है कभी की बात है मुझ पे वो हंगामा गुज़रा है कि लोग कल कहेंगे आज ही की बात है दहर में 'सालिक' ये फैला है निफ़ाक़ दोस्ती भी दुश्मनी की बात है