मुझ को आता है तयम्मुम न वज़ू आता है सज्दा कर लेता हूँ जब सामने तू आता है यूँ तो शिकवा भी हमें आईना-रू आता है होंट सिल जाते हैं जब सामने तू आता है हाथ धोए हुए हूँ नेस्ती-ओ-हस्ती से शैख़ क्या पूछता है मुझ से वज़ू आता है मिन्नतें करती है शोख़ी कि मना लूँ तुझ को जब मिरे सामने रूठा हुआ तू आता है पूछते क्या हो तमन्नाओं की हालत क्या है साँस के साथ अब अश्कों में लहू आता है यार का घर कोई काबा तो नहीं है 'शाइर' हाए कम-बख़्त यहीं मरने को तू आता है