मुझ को ख़ुशियाँ न सही ग़म की कहानी दे दे जिस को मैं भूल न पाऊँ वो निशानी दे दे मुझ को बूढ़ा न कहे मेरे ज़माने वाला ऐ ख़ुदा मुझ को वो ए'जाज़-ए-जवानी दे दे रात-भर जागता रहता हूँ कि जीना है अज़ाब आँखें जो चाहती हैं नींद सुहानी दे दे सुन के ग़ज़लों को मिरी झूम उठे हर कोई मिरे अशआ'र को वो हुस्न-ओ-मआ'नी दे दे याद कर के मैं जिसे भूल सकूँ ग़म 'अहसन' तू मुझे ऐसी कोई चीज़ पुरानी दे दे