मुझ को तन्हाइयों से प्यार भी है तेरे आने का इंतिज़ार भी है तू मुझे बेवफ़ा सा लगता है तेरे वा'दे पे ए'तिबार भी है मुद्दतों बा'द सर है सज्दे में बे-क़रारी भी है क़रार भी है जिस ने मेरा सुकून छीना है मेरा दुश्मन भी मेरा यार भी है किस लिए यूँ उदास बैठे हो अपना घर भी है कारोबार भी है तू भी कुछ बदला बदला सा है 'ख़लील' मेरी आँखों में कुछ ख़ुमार भी है