मुझ पे तोहमत लगा रहे हैं लोग जाने क्यों दिल दुखा रहे हैं लोग ग़म-ज़दा देख कर मिरी सूरत इक फ़साना बना रहे हैं लोग कैसे पहुँचूँ मैं अपनी मंज़िल तक रास्ते से हटा रहे हैं लोग किस ने मुझ को बनाया दीवाना ये जो पत्थर उठा रहे हैं लोग ये जो सरगोशियाँ हैं कानों में बात कोई छुपा रहे हैं लोग जिस तरह मैं कोई तमाशा हूँ उस तरह मुस्कुरा रहे हैं लोग कुछ भी 'साइर' समझ नहीं आता जाने क्या क्या सुना रहे हैं लोग