मुझ से मेरी हयात रूठ गई By Ghazal << कम्बख़्त दिल ने इश्क़ को व... हुआ करे जो अँधेरा बहुत घन... >> मुझ से मेरी हयात रूठ गई तुम नहीं काएनात रूठ गई वो बड़ी मुश्किलों से आई थी तुम न आए तो रात रूठ गई मौत को मौत आ गई शायद या हमारी नजात रूठ गई ज़िंदगी ग़म का साथ दे न सकी दफ़अ'तन बे-सबात रूठ गई 'सोज़' इशरत में साथ थी दुनिया पर दम-ए-मुश्किलात रूठ गई Share on: