मुझे कोई परेशानी नहीं है कि मेरा इश्क़ ला-फ़ानी नहीं है अभी तो अपनी नींदें सो रहा है अभी तेरा कोई सानी नहीं है वो ठुकरा दे कि अब दर से उठा दे हमें भी शौक़-ए-दरबानी नहीं है ख़ुदा जाने कहाँ ठहरे हुए हैं पलट जाने में आसानी नहीं है ये बस्ती डूबने वाली है शायद किसी की आँख में पानी नहीं है ये कैसा दश्त है दश्त-ए-मोहब्बत यहाँ सब कुछ है वीरानी नहीं है मुकम्मल है ये ख़ुद में यूँ भी 'आसिम' मोहब्बत मिस्रा-ए-सानी नहीं है