मुकम्मल राब्ते में आ गया हूँ तुम्हारे रास्ते में आ गया हूँ मैं ख़ुद पर खुल रहा हूँ धीरे धीरे तुम्हारे आइने में आ गया हूँ किसी के हाथ में लिक्खा हुआ था किसी के ज़ाइचे में आ गया हूँ सदा-ए-कुन से जो पीछे हटा था ज़मीं के दाएरे में आ गया हूँ मैं पूरा वाक़िआ' था दास्ताँ का सिमट कर हाशिए में आ गया हूँ सफ़र करना ज़रूरी भी नहीं था मैं यूँही क़ाफ़िले में आ गया हूँ