मुझे रहीन-ए-ग़म-ओ-हिज्र-ओ-यास रहने दो तमाम तोहफ़े मिरे दिल के पास रहने दो न मेरे दिल से हटाओ रिदा-ए-जानाँ को कि मेरे दिल को ज़रा बा-लिबास रहने दो फ़रोग़-ए-दर्द-ए-मोहब्बत के वास्ते हमदम मिरे रक़ीब को मेरे ही पास रहने दो अगरचे हिज्र ही चाहो क़ुबूल है लेकिन तुम अपने लहजे में थोड़ी मिठास रहने दो तुम अपने हुस्न का सरमाया छीन लो मुझ से मताअ'-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा मेरे पास रहने दो लिखें हैं जिस पे फ़साने किताब तुम रख लो वफ़ा-शिआ'र क़लम मेरे पास रहने दो