मुकम्मल ज़िंदगी करने की चाहत कुछ नहीं होती जो लम्हा मिल गया जी लो रियाज़त कुछ नहीं होती जिसे महरूमियाँ मिलती हैं वो ही जान सकता है ज़बानी हौसला झूटी मुरव्वत कुछ नहीं होती उसे चाहा तो ये सोचा मोहब्बत ही सभी कुछ है उसे परखा तो ये जाना मोहब्बत कुछ नहीं होती किसी ने छोड़ कर जाना हो तो फिर छोड़ जाता है बिछड़ना हो तो सदियों की रिफ़ाक़त कुछ नहीं होती तअ'ल्लुक़ टूट जाए तो सफ़ीने डूब जाते हैं ये सब कहने की बातें हैं हक़ीक़त कुछ नहीं होती