तअ'ल्लुक़ात जहाँ से न हादसात से है मिरे ख़ुलूस का रिश्ता तुम्हारी ज़ात से है तड़प रहे हैं तो अहबाब मिलने आए हैं हमारे दिल की ये हालत तो आधी रात से है मैं दुश्मनों को भी अपने अज़ीज़ रखता हूँ मुआ'शरे में तसादुम भी उन की ज़ात से है मैं आइना हूँ मुझे देख कितना सादा हूँ मिरी निगाह का रिश्ता जमालियात से है मशीनी दौर में हम लोग साँस लेते हैं ये ऊँच नीच भी शहरों के वाक़िआ'त से है क़दम क़दम पे नई ज़हमतों ने याद किया 'मुनीर' आप का जीना भी हादसात से है