मुसलसल हँस रहा हूँ गा रहा हूँ तिरी यादों से दिल बहला रहा हूँ तिरी यादों की बेलें जल गईं सब मैं फूलों की तरह मुरझा रहा हूँ ऐ मेरी वहशतो सहरा की जानिब मुझे आवाज़ दो मैं आ रहा हूँ किनारे मेरी जानिब बढ़ रहे हैं मगर मैं हूँ कि डूबा जा रहा हूँ यहाँ झूटों के तम्ग़े मिल रहे हैं मैं सच्चा हूँ तो परखा जा रहा हूँ