मुश्किल को ज़रा छोड़ के आसान के बारे कुछ सोच मिरी तंगी-ए-दामान के बारे इक तेरे बुलावे पे बहल जाता है वर्ना मा'लूम है मुझ को दिल-ए-नादान के बारे आग़ाज़-ए-मोहब्बत में तवक्कुल है ज़रूरी मत सोच किसी फ़ाएदा नुक़सान के बारे इस शहर में हर शख़्स को सोने की पड़ी है हालाँकि बताया भी है तूफ़ान के बारे इस बस्ती-ए-ख़ुश-आब की पुर-कैफ़ फ़ज़ाएँ कब सोचने देती हैं परिस्तान के बारे खोने की तुझे मुझ को वही फ़िक्र है लाहिक़ होती है मुसाफ़िर को जो सामान के बारे 'आजिज़' तिरी दुनिया के ये इंसान अजब हैं इंसान को बहकाते हैं यज़्दान के बारे