मुश्किल में डालता हूँ मैं अपने वजूद को आसाँ बना रहा हूँ मैं अपने वजूद को तकमील चाहता हूँ मैं अपने वजूद की हर रुख़ से देखता हूँ मैं अपने वजूद को दोनों के दरमियान कहीं कुछ है मुश्तरक सो तुझ में ढूँढता हूँ मैं अपने वजूद को कर दे न वार मुझ पे मिरा मैं ये सोच कर ख़ुद से बचा रहा हूँ मैं अपने वजूद को अपने वजूद से नहीं मैं मुतमइन अभी हर लम्हा मांझता हूँ मैं अपने वजूद को रंज-ओ-अलम की भट्टी में 'नायाब' डाल कर कुंदन बना रहा हूँ मैं अपने वजूद को