न एहतिजाज न आवारगी में देख मुझे जो हो सके तो मिरी रौशनी में देख मुझे गुल-ए-हवस भी है शाख़-ए-विसाल का हिस्सा चराग़-ए-लाला की ताज़ा कली में देख मुझे वज़ाहतों से तू कुछ भी समझ न पाएगा कभी ग़ुबार कभी तीरगी में देख मुझे फ़ज़ा-ए-याद में तब्दीलियाँ नहीं होतीं जदीद शख़्स पुरानी गली में देख मुझे सितारा ताब ज़माने की यादगार हूँ मैं किसी मलाल न शर्मिंदगी में देख मुझे मैं एक बूँद सर-ए-नोक-ए-ख़ार-ए-सहरा हूँ तुलू-ए-सुब्ह-ए-दम-ए-आख़िरी में देख मुझे मिरे बयान के जाह-ओ-जलाल पर मत जा मिरे ख़याल की पस-मांदगी में देख मुझे