न हम ने आँख लड़ाई न ख़्वाब में देखा मगर तुम्हें दिल-ए-ख़ाना-ख़राब में देखा तड़प तड़प के तिरे आस्ताँ पे ले आया बड़ा असर दिल-ए-पुर-इज़्तिराब में देखा कभी निगाह-ए-करम है कभी इ'ताब की लहर अजीब लुत्फ़ तिरे पेच-ओ-ताब में देखा बड़े ख़ुलूस की बातों के बा'द शर्त-ए-वफ़ा तिरा ग़ुरूर भी ख़त के जवाब में देखा नज़र मिलाते ही ग़म हो गए हवास 'नज़र' ख़ुमार आँख से छलकी शराब में देखा