न जाने तेरे मेरे दरमियान अब क्या है By Ghazal << याद करने को यूँ तो क्या क... हम को आह-ओ-बुका नहीं करना >> न जाने तेरे मेरे दरमियान अब क्या है ख़ला सी पहले कोई शय थी अब ख़ला भी नहीं तेरा ख़याल ये सच है हमें नहीं आया मगर ख़याल में कोई तेरे सिवा भी नहीं जुनूँ के नाम पे काग़ज़ किए गए काले दिमाग़ कार-ए-जुनूँ की तरफ़ गया भी नहीं Share on: