न मिला तिरा पता तो मुझे लोग क्या कहेंगे यूँही दर-ब-दर रहा तो मुझे लोग क्या कहेंगे तुझे ज़िंदगी कहा है तू है ज़िंदगी का हासिल तुझे बेवफ़ा कहा तो मुझे लोग क्या कहेंगे मिरे दिल में ज़ब्त-ए-ग़म का जो चराग़ जल रहा है वो चराग़ बुझ गया तो मुझे लोग क्या कहेंगे ये जहाँ न जाने क्या क्या मुझे कह रहा है लेकिन कभी तुम ने कुछ कहा तो मुझे लोग क्या कहेंगे मैं चला तो हूँ सुनाने उसे दास्ताँ वफ़ा की कोई हादिसा हुआ तो मुझे लोग क्या कहेंगे