न सिर्फ़ तुझ से मुझे इंतिक़ाम लेना है हिसाब-ए-वहशत-ए-उम्र-ए-तमाम लेना है मिरे लबों पे ये रख दी गई है किस की दुआ ये सारी उम्र मुझे किस का नाम लेना है सुना है उस की निगाहें अदब-नवाज़ हैं सो किसी भी तरह मुझे इक सलाम लेना है मैं इक फ़क़ीर-ए-मोहब्बत हूँ मुझ को क्या मालूम कि किस सुख़न पे मुझे कितना दाम लेना है बस एक तू ही नहीं है मिरे निशाने पर ज़माने भर से मुझे इंतिक़ाम लेना है अभी तो बाक़ी हैं दुनिया के रंज भी आगे अभी तो दिल से मुझे और काम लेना है