न छेड़ उन का फ़साना ऐ दिल-ए-नाशाद रहने दे मैं बर्बाद-ए-तमन्ना हूँ मुझे बर्बाद रहने दे नदामत हो उन्हें शायद कभी अपनी जफ़ाओं पर अभी शिकवा-तराज़ी ऐ लब-ए-फ़रियाद रहने दे मिटा दे सफ़्हा-ए-दिल से मिरे सब कुछ ग़म-ए-हस्ती मगर ता-ज़िंदगी क़ाएम किसी की याद रहने दे अजब लज़्ज़त ख़लिश में इस की है ऐ चारागर पिन्हाँ दिल-ए-ईज़ा-तलब में नावक-ए-बेदाद रहने दे अगर उन की तलब है पुख़्ता-कार-ए-आरज़ू हो जा हवस की ख़ामकारी ऐ दिल-ए-नाशाद रहने दे मुबारक हो तुझे ऐ बेवफ़ा आराइश-ए-गेसू जो बर्बाद-ए-तमन्ना है उसे बर्बाद रहने दे गर अम्बार-ए-करम होने की ताक़त ही नहीं उस में 'वली' को आश्ना-ए-लज़्ज़त-ए-बेदाद रहने दे