न हो नहीं है अगर उस का शीन क़ाफ़ दुरुस्त वो हक़ पे है तो नहीं इस से इख़्तिलाफ़ दुरुस्त त'अल्लुक़ात की तज्दीद के लिए यारो है अपनी अपनी कमी का ये ए'तिराफ़ दुरुस्त अज़ाब झाँक रहा है ज़रा तो फ़िक्र करो नहीं है घर के किवाड़ों में ये शिगाफ़ दुरुस्त ये रौशनी तो मताअ'-ए-नज़र की दुश्मन है मिरी नज़र में है अब इस से इंहिराफ़ दुरुस्त ज़रा तुम अपनी हदों का भी जाएज़ा ले लो ये मानता हूँ कि है मुझ से इख़्तिलाफ़ दुरुस्त ये जुस्तुजू तो किसी साए का तआ'क़ुब है हुआ है मुझ पे अचानक ये इंकिशाफ़ दुरुस्त मिलेगा क्या तुझे 'अनवर-शमीम’ बाज़ आ जा नहीं है इस दर-ए-दौलत का ये तवाफ़ दुरुस्त