ये न समझो राह की दुश्वारियाँ चुप हो गईं गिर पड़े हैं इस लिए बैसाखियाँ चुप हो गईं देर तक सुनते रहे चुप-चाप हम ख़ामोशियाँ और जब बोले तो फिर ख़ामोशियाँ चुप हो गईं याद करने वाले हम को याद बन कर रह गए एक मुद्दत से हमारी हिचकियाँ चुप हो गईं लिखते लिखते रुक गए थे वो सिसक कर जिस जगह पढ़ते पढ़ते उस जगह वो चिट्ठियाँ चुप हो गईं वक़्त ने मुझ को दिखाए ऐसे मंज़र बारहा रफ़्ता रफ़्ता सब मिरी हैरानियाँ चुप हो गईं एक पल को यूँ लगा था मर गए हैं 'अर्श' हम जब रिहाई पर हमारी बेड़ियाँ चुप हो गईं