ना-मुरादी का ककहरा लिख दिया By Ghazal << आज जो इतनी सरगिरानी है ख़ुशी ख़ुशबू ख़ुदा की रो ... >> ना-मुरादी का ककहरा लिख दिया दाद का अक्षर सुनहरा लिख दिया शहर में होली हुई थी ख़ून की किस ने चेहरे पर दसहरा लिख दिया मुट्ठियों को चुप किया बंदूक़ ने तेज़ साँसों पर भी पहरा लिख दिया चीख़ धरती का मुक़द्दर बन गई आसमाँ वाले को बहरा लिख दिया Share on: