न ये क़रीब हैं दुनिया के और न दीन के पास ये मेरे दोस्त हैं रहते हैं आस्तीन के पास वो लोग भी हमें शक की नज़र से देखते हैं जो एक वक़्त में होते हैं तीन तीन के पास लो एक मुझ सा गुनहगार और आ पहुँचा बहुत सा काम तो पहले से था ज़मीन के पास वो बेवफ़ा है मगर किस तरह भुला दें उसे हमारा दिल भी तो लगता है उस कमीन के पास अगर हैं सीखना आदाब-ए-ज़िंदगी तुम को गुज़ारो वक़्त किसी बोरिया-नशीन के पास हमारी ज़ात कहीं उस में गुम न हो जाए हम इस लिए नहीं जाते हैं उस ज़हीन के पास ये दाद अप को लहजे की मिल रही है मियाँ हमारे शे'र पहुँचते हैं सामईन के पास गुनाहगार हैं लेकिन कई हवालों से सिफ़ारिश अपनी गई रब्ब-ए-आलमीन के पास मिरी रविश से मुझे किस तरह हटाना है यही तो काम है मेरे मुख़ालिफ़ीन के पास