ना-एहतिराम का बस एहतिराम कर बैठे हम अपने कर्ब का ख़ुद इंतिज़ाम कर बैठे उन्हें तो आना ही कब था हमारी बस्ती में हज़ार तरह के हम एहतिमाम कर बैठे ये बे-रुख़ी का अजब सिलसिला तो तब से है वो गुज़रे राह से और हम सलाम कर बैठे ख़मोश तब्अ' थे दामन बचा के चल दिए वो और हम नसीब के मारे कलाम कर बैठे लगाओ आस ना उम्मीद रक्खो तुम 'माहम' बुझाओ शम्अ' वो क़िस्सा तमाम कर बैठे