सारेगामा पा धानी सुर में ले साँसें जानी नादानी सी नादानी मन करता मन-मानी दुनिया जानी-पहचानी हस्ती अपनी अनजानी आईने में आईना हैरानी सी हैरानी आँखों से मत छलकाना उजड़े दिल की वीरानी बादल पी के आया था पुर्वाई भी मस्तानी ख़ुद को हारे तो जीते राजा के मन को रानी घर में भी बस यूँही हूँ अपनों में इक बेगानी जीना है मर जाने को मुश्किल सी इक आसानी उल्टे मुझ पर हँसती है दुनिया पागल दीवानी गुमनामों सी रहती है 'पिंहाँ' जानी-पहचानी