नग़्मा-हा-ए-असर-अंदाज़ कहाँ से लाऊँ सोज़ में डूबा हुआ साज़ कहाँ से लाऊँ बे-कसी हमदम-ओ-हमराज़ कहाँ से लाऊँ ग़म में डूबी हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ इश्क़ ने जिस के लिए क़ैस का जामा पहना हुस्न-ए-ख़ुद-बीं के वो अंदाज़ कहाँ से लाऊँ उफ़ वो दुज़्दीदा निगाहों के हसीं नज़्ज़ारे उफ़ वो तेरे ग़लत-अंदाज़ कहाँ से लाऊँ मौत है मेरे लिए तल्ख़ी-ए-अंजाम-ए-हयात तुझ को ऐ लज़्ज़त-ए-आग़ाज़ कहाँ से लाऊँ सुनने वालों को जो ख़ुद-रफ़्ता करे ऐ 'अह्मर' अपने शे'रों में वो ए'जाज़ कहाँ से लाऊँ