नहीफ़ तिनका भला तेज़ धार क्या जाने न कर सकेगा वो दरिया को पार क्या जाने हयात की ये निहायत तवील राहगुज़ार मुसाफ़िरों की थकन का शुमार क्या जाने मसर्रतों में छुपा हुस्न-ए-दिल को क्या मा'लूम ये रेगज़ार जमाल-ए-बहार क्या जाने वो हम से उम्र बिताने की बात करता है हमें तो साँस भी लेना है बार क्या जाने नशे में है जो मसर्रत का जाम पी के 'उबैद' वो हादसात की मय का ख़ुमार क्या जाने