नहीं और कुछ मेरे दिल की कहानी कि देखी नहीं उम्र भर शादमानी कभी हम ने राह-ए-वफ़ा को न छोड़ा हमेशा सुनी हुस्न की लन-तरानी अबस ये शिकायत कि नाकामियाँ हैं नहीं क़िस्मत-ए-इश्क़ में कामरानी तुम्हारी तलब में हमेशा रही है मयस्सर हमें गर्दिश-ए-आसमानी तुम्हारे इरादों को हम क्या समझते तुम्हारी निगाहों ने की तर्जुमानी तुम्हारा तबस्सुम अरे तौबा तौबा हज़ारों बहारों की है गुल-फ़िशानी लुटा दिल कहाँ और किस वक़्त 'जौहर' निगाहें तो करती रहीं पासबानी